भारत ने ब्रह्मोस भेजी, अमेरिका ने मिसाइल लॉन्चर... फिलीपींस में बन रहा एंटी-चीन बेस!

भारत से 'ब्रह्मोस' मिसाइल पाकर फिलीपींस दहाड़ने लगा है. सुपरसोनिक स्पीड वाली इस मिसाइल को बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम से पकड़ना बेहद मुश्किल है. 500 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल 'फायर एंड फॉरगेट' के सिद्धांत पर काम करती है. यानी इसे लॉन्च

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भारत से 'ब्रह्मोस' मिसाइल पाकर फिलीपींस दहाड़ने लगा है. सुपरसोनिक स्पीड वाली इस मिसाइल को बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम से पकड़ना बेहद मुश्किल है. 500 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल 'फायर एंड फॉरगेट' के सिद्धांत पर काम करती है. यानी इसे लॉन्च के बाद गाइड करने की जरूरत नहीं पड़ती. फिलीपींस को 'ब्रह्मोस' मिलने से चीन की टेंशन बढ़ गई है. साउथ चाइना सी में अपना प्रभुत्व स्थापित करने में लगे चीन को एक और झटका लगा है. अमेरिका ने भी ताकतवर मिसाइल लॉन्चर फिलीपींस में तैनात कर दिए हैं. इनसे 1,600 किलोमीटर तक की रेंज वाले हथियार दागे जा सकते हैं. ये दो नए घटनाक्रम चीन के लिए बड़ी मुश्किल बनने वाले हैं. ऊपर से अमेरिका और फिलीपींस के बीच सोमवार से युद्धाभ्यास भी शुरू हो गया. चीन और फिलीपींस के बीच साउथ चाइना सी में अक्सर झड़प होती रहती है. फिलीपींस ने चीन को काउंटर करने के लिए ही भारत और यूएस से रक्षा साझेदारी मजबूत की है. बदले में, फिलीपींस एक एंटी-चीन बेस के रूप में विकसित हो रहा है.

जाहिर है, फिलीपींस को डिफेंस मजबूत करता देख चीन बौखला गया है. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब ब्रह्मोस मिसाइलों की डिलीवरी हो रही थी, उस समय वेस्ट फिलीपींस सागर के आसपास एक चीनी ड्रोन देखा गया. इससे पता चलता है कि चीन हालिया घटनाक्रम से काफी असहज है. विदेश मंत्री एस जयशंकर पिछले महीने मनीला गए थे. वहां उन्होंने कहा कि नई दिल्ली फिलीपींस की संप्रभुता का सम्मान करती है. चीन इस बयान से बिगड़ उठा. उसने कहा कि तीसरे देशों को फिलीपींस के साथ उसके मामलों में दखल नहीं देना चाहिए.

फिलीपींस में भारत की ब्रह्मोस मिसाइल पहुंचते ही घबराया चीन

इस महीने, 11 अप्रैल को अमेरिका, जापान और फिलीपींस ने पहली बार त्रिकोणीय शिखर सम्मेलन किया. तीनों देशों ने एक सुर में कहा कि साउथ चाइना सी और ईस्ट चाइना सी में यथास्थिति को बदलने की चीन की कोशिशों का माकूल जवाब दिया जाएगा. अमेरिका और फिलीपींस का साझा युद्धाभ्यास भी 22 अप्रैल से शुरू हुआ है जो 10 मई तक चलेगा. साउथ चाइना सी में चल रही इस एक्सरसाइज से चीन बिदक गया है.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि अमेरिका 'एकतरफा सैन्य बढ़त' लेना चाहता है. चीन ने अमेरिका से कहा कि वह सैन्य तनाव को हवा न दे. इस बात की पूरी संभावना है कि चीन अपने सर्विलांस जहाजों के जरिए इस युद्धाभ्यास पर नजर रखेगा. चीन के विदेश मंत्रालय ने फिलीपींस को चेतावनी दी है. जियान ने कहा कि 'फिलीपींस को समझना चाहिए कि साउथ चाइना सी में बाहरी देशों को लाकर ताकत दिखाने से केवल तनाव और क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ेगी.'

डिफेंस से इतर, फिलीपींस ने आर्थिक मोर्चे पर भी चीन से दूरी बनानी शुरू कर दी है. हाल ही में एक मालगाड़ी प्रोजेक्ट को लेकर चीन से बातचीत बिगड़ गई. इसके बाद, अमेरिका और जापान ने फिलीपींस को उसके लिए पैसा देने पर हामी भरी.

एंटी-चीन बेस बन रहा फिलीपींस!

राष्‍ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस के नेतृत्व में फिलीपींस अब चीनी महत्वाकांक्षा के रास्ते में बड़ी रुकावट बन गया है. मार्कोस ने पद संभालते ही मनीला की विदेश नीति में बड़े बदलाव किए. अब फिलीपींस कहीं ज्यादा स्वतंत्र हैं. मार्कोस का फिलीपींस अमेरिका, भारत और जापान जैसे देशों का करीबी है और चीन के प्रभुत्व से दूर हो रहा है. वह अपनी विदेश नीति और क्षेत्रीय नीति खुद तय करना चाहताा है. ब्रह्मोस डील के जरिए भारत ने फिलीपींस से रिश्‍ते खासे मजबूत कर लिए हैं लेकिन चीन को साधना इतना आसान नहीं होगा. अमेरिका और भारत, दोनों ही साउथ चाइना सी तक पहुंच बनाने में कामयाब रहे हैं, इससे चीन खफा हो उठा है. अब तक इस इलाके में चीन की तूती बोलती रही है लेकिन तमाम छोटे देश चीन की आक्रामकता के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं.

Explainer: चीन में शहरों के नीचे से क्यों खिसक रही है जमीन?

साउथ चाइना सी में तेल-गैस का खजाना

1.3 मिलियन वर्ग मील में फैला साउथ चाइना सी अंतरराष्‍ट्रीय व्यापार के लिहाज से बेहद अहम है. ग्लोबल शिपिंग का करीब एक-तिहाई हिस्सा हर साल यहां से गुजरता है. हालांकि, तनाव की वजह से साउथ चाइना सी में उपलब्ध संसाधनों का दोहन नहीं हो पा रहा. अमेरिका की एनर्जी इंफॉर्मेशन एजेंसी के अनुसार, साउथ चाइना सी में कम से कम 190 ट्रिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस और 11 बिलियन बैरल तेल मौजूद है. चीन की नजरें इसी प्राकृतिक खजाने पर है. वह पूरे सागर पर अपना दावा करता है. फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम, ब्रुनेई और ताइवान भी साउथ चाइना सी के अलग-अलग हिस्सों पर दावा करते हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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